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Showing posts from September, 2017

अलाउद्दीन खिलजी की इतिहास प्रसिद्ध चितौड़गढ़ विजय । Historically famous Chittorgarh victory of Alauddin Khilji.

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अलाउद्दीन खिलजी की विजय (1297-1311 ईस्वीं) अलाउद्दीन खिलजी उत्तरी भारत की विजय (1297-1305 ईस्वीं)-- अलाउद्दीन खिलजी की इतिहास प्रसिद्ध चितौड़गढ़ विजय व प्रारंभिक सैनिक सफलताओं से उसका दिमाग फिर गया था। महत्वाकांक्षी तो वह पहले ही था। इन विजयों के उपरांत वह अपने समय का सिकंदर महान बनने का प्रयास करने लगा। उसके मस्तिष्क में एक नवीन धर्म चलाने तक का विचार उत्पन्न हुआ था, परन्तु दिल्ली के कोतवाल काजी अल्ला उल मुल्क ने अपनी नेक सलाह से उसका यह विचार तो समाप्त कर दिया। उसने उसको एक महान विजेता होने की सलाह अवश्य दी। इसके अनंतर अलाउद्दीन ने इस उद्देश्य पूर्ति के लिए सर्वप्रथम उत्तरी भारत के स्वतंत्र प्रदेशों को विजित करने का प्रयास किया। 1299 ईस्वी में सुल्तान की आज्ञा से उलुगखां तथा वजीर नसरत खां ने गुजरात पर आक्रमण किया। वहां का बघेल राजा कर्ण देव परास्त हुआ। वह देवगिरी की ओर भागा और उसकी रूपवती रानी कमला देवी सुल्तान के हाथ लगी। इस विजय के उपरांत मुसलमानों ने खंभात जैसे धनिक बंदरगाह को लूटा। इस लूट में प्राप्त धन में सबसे अमूल्य धन मलिक कापुर था, जो कि आगे चलकर सुल्तान का

भारत में मुस्लिम साम्राज्य का संस्थापक मोहम्मद गौरी Mohammed Gauri, the founder of the Muslim Empire in India

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Muhammad Gori भारत में मुस्लिम साम्राज्य का संस्थापक मोहम्मद गौरी गौर वंश का उत्कर्ष महमूद गज़नवी ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना अवश्य की थी, पर उस विशाल साम्राज्य में बसने वाली विभिन्न जातियों को वह एकता के सूत्र में नहीं हो सका था . अतः उसकी मृत्यु के बाद जब उसके निर्मल उत्तराधिकारी उस विस्तृत साम्राज्य को नहीं संभाल सके, तो वह विभिन्न जातियां(सेल्जुक,तुर्क,,गज तुर्कमान,,गौर अफगान)गजनी से स्वतंत्र होने लगे।  इस क्षेत्र में सर्वप्रथम सेल्जुक तुर्कों ने  सर उठाया और उन्होंने खुरासान पर अधिकार कर अपने एक विशाल एवं स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।  कुछ समय बाद गौर व ख्वारिज्म का नवीन साम्राज्य स्थापित हुआ और सेल्जुक तुर्कों का स्थान गोर जाति ने ले लिया। गौर लोग गौर राज्य के निवासी थे।  गौर गजनी और हिरात के मध्य एक छोटा सा पहाड़ी राज्य था, जिस पर महमूद गजनवी ने 1009 ईस्वी में अधिकार कर लिया था।  गौर का तत्कालीन शासक महमूद बिन सूरी महमूद का सामंत बन गया था। महमूद की मृत्यु के उपरांत जब गौर राज्य ने स्वतंत्र होने का प्रयास किया तो गजनी के सुल्तान बहराम ने उस

The invasions, causes and effects of the Turks on India-Part 2

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Muhhamad Gajnvi Continues....   महमूद के आक्रमण के प्रभाव -- महमूद गजनबी (998- 1030 ईस्वी) महमूद के 17 आक्रमणों का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा ? इस पर भी इतिहासकार विभिन्न मत रखते हैं।   डॉक्टर ईश्वरी प्रसाद लिखते हैं , “ उसके आक्रमणों का ध्येय धन , राज्य नहीं ; मूर्ति पूजा का विनाश , विजय नहीं था ; और जब वह उसे प्राप्त हो गया तो उसने भारत की असंख्य जनता की कोई   परवाह नहीं की।   भारत भूमि पर साम्राज्य स्थापित करने की उसकी इच्छा नहीं थी। “ अतः उसके आक्रमणों का भारत पर स्थाई प्रभाव पड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता।   परंतु आक्रमण के प्रभाव एक ही पक्ष पर दृष्टिगत नहीं होते।   हो सकता है इन आक्रमणों से भारत अधिक प्रभावित नहीं हुआ , पर गजनी का राज्य को प्रभावित हुआ।   इसलिए   स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू ने अपनी पुस्तक ‘ भारत की खोज ’ में लिखा है कि   महमूद के आक्रमण भारत के इतिहास में एक बड़ी घटना है।   मैं यहां इन   प्रभावों का वर्णन दो वर्गों में करूंग