बाल विवाह और राजस्थान।
जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है, राजस्थान तपने लगा है। आने वाले दिनों में भयंकर लू के थपेड़ो से जन जीवन अस्त व्यस्त होने वाला है। राजस्थान भारत के ऐसे भौगोलिक क्षेत्र का नाम है, जिसे हम थार के रेगिस्तान से लेकर दक्षिण पूर्व चम्बल के बीहड़ों के बीच बसे प्रदेश के रूप मेँ जानते है। राजस्थान अपनी अनूठी सांस्कृतिक विरासतों के लिए जाना जाने वाला प्रदेश है। विदेशो से आने वाले पर्यटकों के नक़्शे में राजस्थान सबसे ऊपर होता है। अरावली पर्वतमाला इसे लगभग दो समान भागो में विभाजित करती है। मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद ये भारत का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है। कालांतर में विदेशी आक्रांताओं के निशाने पर इसलिए रहा, क्योंकि यह सुदूर पश्चिम से आने वाले हर विदेशी आक्रमणकारी के स्थल मार्ग में आता था। लेकिन फिर भी अपनी समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराओं के कारण विश्व पटल पर विशेष स्थान रखता है।
1. राजस्थान में बाल विवाह।
राजस्थान अपनी सांस्कृतिक विविधता, अमूल्य ऐतेहासिक धरोहरों, की दृष्टि से समृद्ध प्रदेश है। आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा हुवा प्रदेश है। इसके पीछे बहूत कारण है। इनमे से एक प्रमुख कारण है बाल विवाह। राजस्थान में आज 21 वीं सदी में भी बाल विवाह इतने बड़े पैमाने पर होते है, जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। जैसे जैसे राजस्थान में गर्मी का प्रकोप बढ़ता जायेगा वैसे वैसे ये विवाह परवान चढ़ते जायेंगे। लेकिन इसके पीछे गर्मी का कोई कारण नहीं है। यहाँ की अधिकांश जनसँख्या गरीब, अशक्षित होने के कारण रूढ़िवादी परम्पराओं में विश्वाश करती है। गर्मियों में आखा तीज का दिन इस क्षेत्र में बाल विवाह का सबसे बड़ा गवाह बनता है। इस दिन को अबूझ सावे के रूप में जाना जाता है। इसलिए यहाँ की गरीब, अशिक्षित, जातियों में इस दिन बड़े पैमाने पर बाल विवाह होते है। इसके पीछे इन लोगों का मानना है की ये तो अबूझ मुहूर्त है, और अपने छोटे छोटे बच्चों को विवाह बंधन में बांध देते है।
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बाल विवाह एक अभिशाप |
2. THE PROHIBITION OF CHILD MARRIAGE ACT, 2006
भारत सरकार ने 2006 में ये act पास किया जिसे पुरे भारत में 10 Jan 2007 को लागु कर दिया गया। राजस्थान सरकार के भरसक प्रयासों के बावजूद अभी तक हालात संतोषजनक नहीं कहे जा सकते। मैंने जैसे ऊपर लिखा की जैसे जैसे गर्मी बढाती जा रही है सरकार के इस ज्वलन्त मुद्दे को लेकर हाथ पाँव फूलने लगते है। हाथ पाँव इसलिए फूलते है , क्योंकि सरकार इस विषय को गंभीरता से ले रही है, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे है। अपेक्षित परिणाम इस लिए नहीं मिल रहे है क्योंकि अधिकांश जनता इसके दुष्परिणामों से अनभिज्ञ है। उनको लगता है, कि मां -बाप होने के नाते वे इस जिम्मेदारी से जितना जल्दी मुक्त हो जाएँ उतना ही अच्छा है।
आज जरुरत है, इस बात की सरकार के साथ साथ हम सब मिलकर इस बुराई से लड़ें। सभ्य समाज के एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मैं आप से विनम्र निवेदन करना चाहती हूँ, कि इन गर्मियों में हम सब मिलकर इस सामाजिक बुराई को रोकने का अपनी तरफ से प्रयास करें।
3. आप क्या सहयोग कर सकते है ?
एक साधारण नागरिक होने के नाते आप सोच रहें होंगे कि मैं क्या कर सकता हूँ ? आप साधारण नहीं है। आप ने सुना ही होगा कि "don't under estimate a common men" तो अपने आप को कम मत आंकना। आप अपने आस-पास के क्षेत्र में होने वाली ऐसी शादियों को रुकवाकर दो बच्चों का भविष्य बचा सकते है। अगर आप कोई स्वंय सेवी संस्था है, तो आप की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। अगर आप प्रशाशन के किसी ऐसे पद को शुशोभित कर रहे है, जिसे आम जनता उम्मीद भरी निगाह से देखती है, तो आप अपने दायरे से बाहर जाकर काम करेंगे तो आप को कोई रोकने वाला नहीं है। अगर आप एक लेखक है, तो इस मुहीम को आगे बढ़ाने में सहयोग कर सकते है। अगर आप एक रीडर है, तो पढ़कर इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर कर सकते है, ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके।
इस मुहीम में सहयोग करने में कुछ महत्वपूर्ण टेलीफोन नंबर हमारी मदद कर सकते है।
1. चाइल्ड हेल्प लाइन (Child help line) 1098
2. महिला एवँ बाल विकास विभाग-राजस्थान
(Department of Women and Child Development. Rajasthan ) 1800-180-6127
3. पुलिस महा निदेशक - राजस्थान (
DIRECTOR GENERAL OF POLICE-RAJASTHAN ) 0141 -2744435
Ma'am you are absolutely right I think everyone to take a serious note on such matters.
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