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Showing posts from August, 2019

अलाउद्दीन खिलजी की इतिहास प्रसिद्ध चितौड़गढ़ विजय । Historically famous Chittorgarh victory of Alauddin Khilji.

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अलाउद्दीन खिलजी की विजय (1297-1311 ईस्वीं) अलाउद्दीन खिलजी उत्तरी भारत की विजय (1297-1305 ईस्वीं)-- अलाउद्दीन खिलजी की इतिहास प्रसिद्ध चितौड़गढ़ विजय व प्रारंभिक सैनिक सफलताओं से उसका दिमाग फिर गया था। महत्वाकांक्षी तो वह पहले ही था। इन विजयों के उपरांत वह अपने समय का सिकंदर महान बनने का प्रयास करने लगा। उसके मस्तिष्क में एक नवीन धर्म चलाने तक का विचार उत्पन्न हुआ था, परन्तु दिल्ली के कोतवाल काजी अल्ला उल मुल्क ने अपनी नेक सलाह से उसका यह विचार तो समाप्त कर दिया। उसने उसको एक महान विजेता होने की सलाह अवश्य दी। इसके अनंतर अलाउद्दीन ने इस उद्देश्य पूर्ति के लिए सर्वप्रथम उत्तरी भारत के स्वतंत्र प्रदेशों को विजित करने का प्रयास किया। 1299 ईस्वी में सुल्तान की आज्ञा से उलुगखां तथा वजीर नसरत खां ने गुजरात पर आक्रमण किया। वहां का बघेल राजा कर्ण देव परास्त हुआ। वह देवगिरी की ओर भागा और उसकी रूपवती रानी कमला देवी सुल्तान के हाथ लगी। इस विजय के उपरांत मुसलमानों ने खंभात जैसे धनिक बंदरगाह को लूटा। इस लूट में प्राप्त धन में सबसे अमूल्य धन मलिक कापुर था, जो कि आगे चलकर सुल्तान का

नाग पंचमी व गोगा नवमीं की कहानी। A story of Nag Panchami। Nag Panchami ki kahani ।

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नाग पंचमी और गोगा नवमीं  नाग पंचमी की कथा  श्रावण बद्दी पंचमी को नाग पंचमी होती है। इस दिन ठंडी रसोई बनाकर खाते हैं। एक पटरी पर रस्सी से 7 गांठ को सांप बनाकर रखा जाता है। सांप की जल, कच्चे दूध, मोई (बाजरे के आटे और घी में चीनी मिलाकर बनाई जाती है।) भिगोए हुए मोठ, बाजरा, रोली, चावल, ठंडी रोटी दक्षिणा के रूप में चढ़ाया जाता है। उसके पश्चात नाग पंचमी की कहानी सुनते हैं। मोठ, बाजरा और रुपए का सीधा या बानो निकालकर सासु के पैर लग कर देते हैं। अपनी बहन बेटियों के लिए भी सीधा या बानो निकाल कर भेजते हैं। इस दिन आपकी बहन बेटियों के पीर में जाकर उन्हें लेकर आना चाहिए।  नाग पंचमी व गोगा नवमीं की कहानी  एक साहूकार था। उसके सात बेटा और सात बहु थी। सातों खेत से कच्ची मिट्टी लेने गई। मिट्टी में से एक सांप निकला। तब सारी देवरानी जेठानी सांप को मारने लगी। तो छोटी बहू ने मना किया। उसने कहा इस सांप को अपने धर्म का भाई बना लेते हैं, और कहा कि “पीहर में बाप और बाम्बी में सांप।” तब सारी जेठानी बोली कि कल इसका खेत से लकड़ियां लाने का नंबर है, सो सांप को उसी तरफ भेज देते हैं। वहां पर सांप निकले

Aramshah, Iltutmish -The rise of the slave dynasty in India. आरामशाह, इल्तुतमिश-भारत में गुलाम वंश का अभ्युदय।

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आरामशाह (1210-1211ईस्वी ) कुतुबुदीन ऐबक की आकस्मिक मृत्यु से उसके अनुयायियों में भारी घबराहट उत्पन्न हो गई। उसके उच्च अदिकारियों ने उसके पुत्र आरामशाह को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर दिया। उसका राज्याभिषेक भी लाहौर में हुआ। दिल्ली के नागरिकों ने उसका समर्थन नहीं किया। इसका मूल कारण उसका दुर्बल व अयोग्य होना था। अतः आरामशाह अधिकांश समय लाहौर में ही रहा। लाहौर के तुर्क  ( Turks on India-Part 1 )  लाहौर को ही तुर्की सल्तनत की राजधानी बनाना चाहते थे। ये बात दिल्ली के नागरिकों को अच्छी न लगी और वे आरामशाह को गद्दी से उतारकर इल्तुतमिश को सुल्तान बनाने का प्रयास करने लगे। उनका कहना था कि तुर्की शासन की बागडौर ऐसे संकट के समय आरामशाह से नहीं संभाली जा सकती। वे इस पद के लिए बदायूं के सूबेदार इल्तुतमिश को उपयुक्त समझते थे। आरामशाह अपने इस विरोध को सहन नहीं कर सका। वह लाहौर स्थित तुर्की सरदारों को लेकर दिल्ली की और रवाना हुवा। दिल्ली में वहां नागरिकों के निमंत्रण पर इल्तुतमिश पहले ही आ चूका था। दोनों के बीच युद्ध हुवा और इस युद्ध में आरामशाह सम्भवतः काम आ गया।  इल्तुतमिश (1211-1236 ईस्वी )