ये क्या हो रहा है कश्मीर में ?
पिछले चार पांच रोज़ से सोशल मीडिया पर एक वीडियो देख रही हूँ। हमारे कश्मीर में लोकतंत्र के महापर्व चुनाव को संपन्न करवाने के लिए भारत माता के कुछ वीर जवान अपने कर्तव्य निर्वहन के लिए जा रहे है। वहां के कुछ लफंगे, दिग्भर्मित युवक जिस तरह से उन के साथ चलते चलते उनको थप्पड़ मार रहे है, गालिया दे रहे है, उनका सामान छीन रहे है। हेलमेट फेंक रहे है। लातों से मार रहे है। देखकर खून उबलने की पराकाष्ठा को पार कर गया।
अपने घर में हम इतने लाचार ? वीडियो देखकर अपने आप पर गुस्सा आ रहा है। किस मजबूरी से वो जवान चला जा रहा है। उसके सिर पर मारा, उसने अपना टॉप ठीक किया फिर चलने लगा। उसके सामने से आकर किसी ने उसे जोर से लात मारी थोड़ा बचने का प्रयास किया लेकिन लात फिर भी लगी। लात लगने के बाद फिर चल दिया। लगता है कोई पिछले जन्म में पाप किया था, जिसकी सजा भुगतने के लिए सेना में भर्ती हुवा। उनके हाथों में शस्त्र हैं। लेकिन पैर कानून की बेड़ियों में जकड़े हुए है। मानवाधिकार की हथकड़ियाँ उनके हाथों में है।
जब से वीडियो देखा है, बड़ी बेचैनी है। क्या करूँ ? सोशल मीडिया पर बहुत से लोगों की प्रतिक्रिया देखी। सब ने बहुत बढ़िया तरीके से मजमत की। हमने झंडे गाड़ दिए। फेसबुक पर खूब वाह वाह लूट रहे है। व्हाट्सअप पर मैसेज इधर से उधर भेजे जा रहे है। 400 लाइक्स , 500 लाइक्स , 200 कमेंट , मैडल मिल रहे है।
चमड़ी से बाहर आकर कोई बात नहीं कर रहा। कोई हिन्दुवादी संगठन क्यों आगे नहीं आ रहा? चलो कश्मीर ! कश्मीर चलो ! का नारा क्यों नहीं सुनाई दे रहा ? हड्डियों में पानी भर गया ? जमीर मर गया सब का ? किस हिंदुत्व की बात कर रहे हो ?
हिंदुस्तान जो आप आज देख रहे है, वैसा नहीं था। कंधार से लेकर जहाँ तक ब्रह्मपुत्र बहती थी, हिंदुस्तान वहां तक था। 5000 वर्ष पुराने हिंदुस्तान या भारत वर्ष का ये हाल हमारी चुप्पी की वजह से हुवा है। हमारे अपने रहनुमाओ के तुच्छ स्वार्थों की वजह से हम चुप है। अतीत में भी ये हुवा था, जिसका परिणाम सामने है। हम उन्हें कोसते रहते है, कि उनके होते हुए ऐसा कैसे हो गया ? आने वाली पीढ़िया हमें कोसेंगी। क्योंकि आज हम चुप है। हमारे रहते हो रहा है। कैसे एक जैसी (राज्य व केंद्र) जम्हूरियत के होते हुए किसी सिपाही को कोई थप्पड़ मार रहा है ? उनकी माओं ने इसलिए जन्म दिया था क्या ? क्या अपराध किया है उन्होंने ? उनका अपराध यही है क्या, कि फौज में भर्ती होने के लिए सुबह 4 बजे जागकर वो दौड़ने के लिए जाते थे। भर्ती होने के बाद सीमा पर सर्दी,गर्मी,बरसात मेँ वो खड़ा रहेगा। अपने बूढ़े माँ -बाप को घर में अकेला छोड़ कर इसलिए शायद की महीने के अंत में उसे कुछ रूपये मिल जायेंगे। छुटी आयेगा तो वो अपनी कोनसी बहादुरी के किस्से सुनाएगा ? और कितना लाचार बनाएँगे हम उन्हें ?
हमारे एक बेटे को वहां जेल में बंद कर रखा है। हमारे नेता सदन में बयां दे रहे है। हम सड़को पर पुतले फूंक रहे है। सोशल मीडिया पर बहस कर रहे है। सब अपने आप को देश भक्त जताने की कोशिश कर रहे है। एक्शन नहीं है। कहाँ है एक्शन ? मर गए वो जिनको उपाधिया मिली थी ? क्यों नहीं लौटा रहा कोई ? कहाँ गयी देश भक्ति ? ये इन्टॉलरेंस नहीं है क्या ? क्या परिभाषा है उसकी ?
कोई एक तो आगे आता और कहता कि मैं मेरा ये सम्मान भारत सरकार को लौटा रहा हूँ, क्योंकि कश्मीर में जो हो रहा है उसे में बर्दाश्त नहीं कर पा रहा हूँ।
कोई ये कहने के लिए आगे क्यों नहीं आ रहा की मैं मेरा ये सम्मान भारत सरकार को लौटा रहा हूँ क्योंकि पाकिस्तान जैसे देश को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा मेरी समझ से बहार है।
क्यों अमेरिका की तरफ देख रहे हो ? तुम क्यों नहीं कर देते आतंकवादी राष्ट्र घोषित ? मर जायेंगे क्या हम ? नहीं हम अभावो में जी लेंगे। लेकिन ये कर दो। हमें नहीं चाहिए पाकिस्तान का वो कपास। हमें नहीं चाहिए पाकिस्तान की वो प्याज।
हरे घास री रोटी ही जद, बनबिलावड़ो ल्ये भाज्यो।
नानौ सो अमरयो चीख पड्यो, राणा रो सोयो दुःख जाग्यो।।
महाराणा प्रताप के वंशज है, घास की रोटी खाकर जी लेंगे। लेकिन जिल्लत बर्दाश्त नहीं हो रही।
130 करोड़ है। पोखरण परिक्षण किया था हमने ? प्रतिबंध लगाए थे न ? मर तो नहीं गए न ? फिर क्यों किसी का मुँह ताक रहे है हम ? क्यों नहीं पार्लियामेंट में सर्वसहमती से रेजोलुशन पास कर रहे की पाकिस्तान आतंकवादी राष्ट्र है? देखते है कौन प्रतिबंध लगाता है? किस को अपनी दुकान बंद करवानी है ? कौन है, जो 130 करोड़ का बाजार छोड़ कर जा सकता है ? उनके बाजार बंद हो जायेंगे हमारे कारण। एक छोटी सी टिपण्णी का हवाला देना है यहाँ पर स्नेप चैट का। दो दिन में पखाने लग गए उसको।
हम कब तय करेंगे ? एक देश इतने खतरनाक इरादे रखता है तुम्हारे प्रति। और हम तय नहीं कर पा रहे है कि करना क्या है ? अगर राष्ट्रवाद के प्रबल समर्थन के नाम पर लोगों का विश्वास जीत सकते हो तो फिर उन लोगोँ के विश्वास को कायम भी रखना पड़ेगा। करनी पड़ेगी कोई बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक। चुप बैठने का वक्त नहीं है। वक्तव्य नहीं एक्शन चाहिए। संकट गंभीर है, सामान्य ले रहे है, भूल कर रहे है।
मैं चुप रहूँगा, मैं आलोचना नहीं करूँगा। मैं विरोध नहीं करूँगा, क्योँकि अभी सरकार हमारे दल की है। सरकार किसी दल की नहीं होती। सरकार देश की होती है। सरकारें आती जाती रहेंगी। देश हमारे बाद भी है, सरकारों के जाने के बाद भी है। क्या विरासत छोड़ कर जायेंगे आने वाली पीढ़ी के लिए ? तुम्हे मलाल नहीं की आजादी के समय में ऐसा क्यों हो गया? तो अब चुप रहोगे तो क्या आने वाली नस्ल गुण गाएगी ?
कहाँ गए वो सगंठन कोई सेना, वाहिनी क्यों नहीं बनाता कश्मीर के लिए ? 5 लाख लोगों की सेना,वाहिनी कूच करेगी कश्मीर के लिए। तुम क्षत्रियों की धरती पर पैदा हुए हो। कब तक शीश मांगोगे इन क्षत्राणियों से ? या गौ वंश की रक्षा के साथ मानव धर्म भूल बैठे ?
अगर आज इन सैनिकों के साथ नहीं बोलोगे तो कौन अपने कलेजे के टुकड़े को सरहद पर मरने के लिए भेजेगा ?
पृथ्वीराज के वंशज नहीं हो क्या ? शिवाजी महाराज की जय अकेले महाराट्र में ही बोलोगे क्या ? तुम्हारी रगों में तात्या टोपे का खून नहीं दौड़ रहा है क्या ? क्या बिस्मिल आएंगे अब ? क्या भगत सिंह आएंगे अब ? कोई आज़ाद क्यों नहीं बन जाता ? क्या लक्ष्मी बाई का इंतजार कर रहे हो ? तुम सब कायर हो। हाँ तुम सब कायर हो। अपनी अपनी बीवियों से चूड़ियां पहन लो और चूल्हा चौका संभाल लो।
जय हिन्द ! जय भारत !
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आपके बहुमूल्य सुझाव मेरा हमेशा मार्गदर्शन करेंगे।